हम, हर वक्त उतावलेपन में रहते हैं- यह करना है, वो पाना है। हमें लगता है, कि हमें, हर चीज, जल्द से जल्द, मिल जाए। लेकिन सब कहते हैं कि- सब्र से काम लो। पर, इंतजार करना, तो हमें आता ही नहीं है, फिर, कैसे सब्र रखें? एक कहानी सुनेंगे! अब से कई साल पहले की बात है। पहाड़ी की चोटी पर एक छोटा सा खुशहाल गांव था । खेती से लोग, अच्छा खासा पैसा, कमा लेते थे। लेकिन सूखा पड़ने की वजह से, इस बार, गांव में अकाल पड़ गया। लोग 2 मुट्ठी अनाज को तरसने लगे।
यह देखकर, गांव के सबसे अमीर आदमी ने फैसला किया, कि वो, बच्चों को, रोज रोटी बांटेगा। अगली सुबह, उसने अपने रसोइए से, ढेरों रोटियां बनवाईं और रोटियों की टोकरी लेकर, गांव के बच्चों को बांटने निकल पड़ा। बच्चे दौड़ते हुए उसके पास आए। खाने को देखकर, बच्चों के चेहरे खुशी से, चमक उठे। देखते ही देखते, सब बच्चे, अचानक रोटियों पर, झपट पड़े, इस बीच उनमें धक्का-मुक्की हुई। हर कोई चाहता था कि उन्हें ज्यादा और अच्छी रोटी मिले। लेकिन एक लड़की इस सब से, दूर खड़ी रही और अंत में आखिरी रोटी लेकर चली गई। वो आदमी रोज रोटियां बांटने आता। हर बच्चा वैसे ही छीनाझपटी करके रोटियां लेता। लेकिन वो लड़की, रोज की तरह, इंतजार करती और अंत में बची हुई एक रोटी लेकर, वहां से चली जाती।
एक दिन उस लड़की की रोटी में, सोने की मुहर निकली। मां ने कहा, इसे वापस लौटा कर आओ। लड़की, उस आदमी के पास गई और उसने मुहर के बारे में, उसे बताया। यह देखकर, वो आदमी बहुत हैरान हुआ, और उसने कहा कि ''मैं पहले दिन से, तुम्हें देख रहा था। अंत में जो भोजन बचता है, बिना शिकायत के तुम वो लेकर चली जाती हो। इसलिए यह मुहर, तुम्हारे धैर्य और सहनशीलता का इनाम है।'' यह सुनकर, वो लड़की, थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली-'' मुझे मेरे धीरज का इनाम तो, उसी वक्त मिल चुका है, जब ना तो मुझे, औरों की तरह धक्के खाने पड़ते और ना ही किसी से मनमुटाव होता।'' लड़की के ऐसे स्वभाव को देखकर, उस आदमी ने बच्ची को गले से लगा लिया। उससे वो इतना खुश हुआ कि उसने, उस लड़की को, अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी बना दिया। इस कहानी से, अब आप समझ गए होंगे, कि जिंदगी में, जब भी मौका मिले, तो उस पर झपट पड़ो। लेकिन अपनी नीयत अच्छी रखें और धैर्य के साथ काम लेंगे, तो अंत में सब्र का फल, निश्चय ही मीठा होगा।